( तर्ज - दर्शन बिन जियरा तरसे ० )
यह सब जग धनका प्रेमी है ॥ टेक ॥
धनके खातिर प्राण तजेंगे ।
करेंगे चाहे हरामी है ॥ १ ॥
धनका मान बडा जगमाँही ।
बिन धन कोउ न कामी है ॥२ ॥
धनसे जोरू और सगाई ।
धनके मामा मामी है । || ३ ||
कोउ न पूँछे धन जाने पर ।
भूखे मरत निकामी है । || ४ ||
तुकड्यादास कहे एक ईश्वर ।
धन बिन देत अरामी है .. || ५ ||
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